सम्पूर्ण भारतवर्ष की भाति उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति भी कृषि के विकास पर आधारित है । वाणिज्य, व्यापार एवं उद्योग धन्घों में भारी विकास के बावजूद भी प्रदेश की सकल आय में कृषि क्षेत्र का योगदान 35 प्रतिशत से अधिक है। रोजगार के अवसर सुलभ कराने की दृष्टि से भी कृषि लगातार सबसे व्यापक क्षेत्र बना हुआ है । प्रदेश के लगभग 60 प्रतिशत रोजगार कृषि क्षेत्र में उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश ने खाद्यान्न में जहा एक ओर उल्लेखनीय प्रगति कर हरित क्रान्ति की है, वहीं दूसरी ओर आलू एवं चीनी उत्पादन में भी सराहनीय प्रगति की है । विगत वर्षों में दलहन/तिलहन उत्पादन में भी प्रदेश में भारी प्रगति हुई है।
प्रदेश के किसानों को कृषि उत्पादन हेतु आवश्यक संसाधन- उर्वरक, बीज, कृषि रक्षा रसायन/उपकरण, कृषि यन्त्र आदि हेतु अल्पकालीन ऋण तथा कृषि पर आधारित उद्योग सेवा एवं व्यवसाय आदि प्रयोजनों के लिये मध्यकालीन ऋण सुलभ कराने में सहकारी बैंकों की भूमिका अग्रणी है। इन बैंकों द्वारा किसानों को उनकी उपज के वैज्ञानिक भण्डारण तथा विपणन आदि की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ दैनिक उपयोग की आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति हेतु वित्तपोषण की व्यवस्था भी की जाती है।
Shri Jitendra Bahadur Singh
Chairman |
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शाखायें | 40 |
क्षेत्रीय कार्यालय | 12 |
पे-आफिस | 27 |
बैंकों की संख्या | 50 |
शाखाओं की संख्या | 1266 |
संख्या | 7479 |
सहकारी साख के त्रिस्तरीय ढाचे की वर्तमान वित्तीय स्थिति, उसके सम्मुख विद्यमान प्रमुख समस्यायें एवं उनके निराकरण तथा आगामी वर्षों की कार्यकारी योजना आगामी प्रस्तरों में वर्णित की गयी है:-
उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लि0 की स्थापना जिला सहकारी बैंकों की शीर्ष सहकारी संस्था के रुप में निबन्धन संख्या 811 के द्वारा दिनांक 20 नवम्बर 1944 को हुई थी । इस प्रकार इस बैंक को कार्य करते हुए 75 वर्ष हो चुके हैं । उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लि0, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की द्वितीय अनुसूची में सूचीबद्ध है अर्थात् यह एक अनुसूचित बैंक है तथा सहकारी संस्था के रुप में उ0प्र0 सहकारी समिति अधिनियम 1965 एवं उ0प्र0 सहकारी समिति नियमावली 1968 तथा बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के अधीन बैंकिंग के रुप में विनियमित होता है।